शुक्रवार, 5 जून 2020

मेरा जीवन



मेरा जीवन ईक शांत सरोवर
मत फेंको इसमें कोई पत्थर।
ग़र होती है इसमें कोई हलचल
मन हो उठता है व्याकुल अक्सर।।

कैसे समझाउं इस विचलित मन को
जो छूना चाहे उन्मुक्त गगन को।
पवन वेग से उड़ते चलते
पाना चाहे अपनी मंजिल को।।

राहों की है भूल-भुलैया
राही ढूंढे सही डगरिया।
अनंत चाह में खेव रहा है
वो अपनी मेहनत की नैया।।

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